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Urvara Fertility Centre | IVF Center in Lucknow

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IVF center in Lucknow

क्या एएमएच निसंतान महिलाओं में गर्भावस्था के परिणाम का पूर्वसूचक है?

एएमएच यानि एंटी-मुलेरियन हॉर्मोन एक हॉर्मोन ही होता है जो अंडाशय के भीतर मौजूद फॉलिकल्स के ग्रनुलोसा सेल के द्वारा बनाया जाता है। इससे हमें एएमएच के स्तर के ओवेरियन रिज़र्व के बारे पता चलता है कि ओवरी के अंदर कितने फॉलिकल्स या अंडे बचे हुए है। एएमएच की मात्रा का पता लगाने के लिए एएमएच टेस्ट किया जाता है। एंटी-मुलेरियन हॉर्मोन के स्तर में कमी ओवेरियन रिज़र्व में कमी को दर्शाता है जिसका मतलब है की महिला के अंडाशय में कम अंडे मौजूद है। जिसे लौ एएमएच के नाम से जाना जाता है। ऐसे उपचार के लिए आईवीएफ डॉक्टर लखनऊ में मौजूद है ।

एएमएच टेस्ट क्या है ?

एएमएच एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जिसे एएमएच के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है मतलब महिला के अंडाशय में कितने अंडे बचे हुए है।

कैसे किया जाता है ये टेस्ट ?

एएमएच टेस्ट में रोगी के ब्लड सैंपल लिए जाते हैं और फिर उसे टेस्ट के लिए लैब में भेजते है। जहाँ ब्लड में एएमएच की मात्रा की जांच की जाती है ।

एएमएच लेवल कितना होना चाहिए ?

एएमएच का सामान्य लेवल 2.20 -4.80 ng/mL होना ही चाहिए। अगर इसकी मात्रा2 ng/ml से कम है, तो उसे लो एएमएच कहा जाता है। जिन महिलाओं में एएमएच का स्तर कम होता है उन्हें प्रेग्नेंट होने में समस्या होती है क्योंकि गर्भधारण के लिए उनके पास पर्याप्त अंडे नहीं होते हैं । किसी भी महिला में उम्र के साथ अंडों की संख्या कम होती जाती है।

आयु बढ़ने के साथ महिलाओं में अंडे कम क्यों हो जाते हैं ?

लगभग सभी महिलाएँ जन्म के साथ ही कुछ निर्धारित अंडों के साथ पैदा होती है। उम्र बढ़ने के साथ उसके पीरियड्स आने शुरू हो जाते है और हर महीने एक अंडा पीरियड्स के रूप में शरीर से बहार निकलता है। इस तरह से उम्र बढ़ने के साथ अंडों की संख्या कम हो जाती है, इसलिए कहा जाता है कि कम उम्र की महिलाओं में ज़्यादा उम्र की महिलाओं के मुताबिक गर्भधारण की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनके अंडाशयों में ज़्यादा अंडे मौजूद होते हैं ।

बढ़ती उम्र में कैसे कम हो सकता है एएमएच ?

उम्र बढ़ने के साथ एएमएच यानि महिला के अंडाशयों में अंडो की संख्या कम हो जाती है। लेकिन कम उम्र की महिलाओं में भी आजकल आयु से पहले एएमएच के स्तर में गिरावट देखी जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है आजकल की ख़राब जीवनशैली, खानपान और तनाव । इसलिए महिलाओं को संतुलित आहार लेने और तनाव से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

अगर एएमएच लेवल कम है तो प्रेग्नेंसी कैसे संभव है ?

उपचार के तौर पर दो विकल्प मौजूद हैं -

आईवीएफकुछ महिलाओं में छोटी उम्र में एएमएच लेवल कम होता है यानि अंडे कम होते है, लेकिन वो अच्छी क्वालिटी के हो सकते हैं। आईवीएफ की प्रक्रिया में, उनके अंडे को शरीर से बाहार निकालकर उसे पुरुष के शुक्राणुओं के साथ, लैब के अंदर फर्टिलाइज़ किया जाता है। फर्टिलाइज़्ड होने के बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर करते हैं।

डोनर एग के साथ आईवीएफवो महिलाएँ जिनकी उम्र अधिक होती है और एएमएच का लेवल कम होता है, उनमे अंडो की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है। ऐसे मामलों में डोनर के अंडों का प्रयोग किया जाता है। अंडे और शुक्राणु के फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है ।

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